यूँ समझ लीजिए कि आप इस समय एक दोराहे पर खड़े हैं।
एक तरफ का रास्ता मुश्किल और मशक्कत भरा है, जो ऊपर की ओर जाता है। यह आपसे कड़ी मेहनत, त्याग और हिम्मत की माँग करता है। हालाँकि, आगे चलकर यह रास्ता आसान हो जाएगा और मुश्किलें कम हो जाएँगी।
दूसरी तरफ का रास्ता सरल, चौड़ा और तुरंत आरामदायक लगता है। लेकिन सच ये है कि यह रास्ता आगे चलकर कठिन होता जाएगा और मुश्किलें बढ़ती जाएँगी।
आप अपने लिए कौन सा रास्ता चुनेंगे?
यह तस्वीर एक गहरी सच्चाई को दर्शाती है।
अगर आप आज मेहनत करते हैं, तो आप आगे चलकर ऊँचाई पर पहुँचते हैं, जहाँ रास्ता आसान हो जाता है और आप अपनी मेहनत का फल पाते हैं।
लेकिन अगर आप आज आसानी चुनते हैं, तो जीवन आपसे इसकी कीमत जरूर वसूल करेगा। और यह कीमत बहुत भारी हो सकती है—इतनी भारी कि उसे चुकाना बहुत कठिन हो सकता है।
सलाहुद्दीन अय्यूबी के बारे में पढ़ रहा था। बचपन में उन्हें आराम और सुख-सुविधाओं के साथ नहीं पाला गया। उनके माता-पिता के पास एक बड़ा विज़न था—अल-कुद्स को काफ़िरों से आज़ाद कराना। इसी कारण उन्होंने उन्हें सख्त अनुशासन, फोकस और मशक्कत के साथ पाला।
शुरुआत में, उन्होंने रणनीति सीखने, आत्म-नियंत्रण, और आसानी को त्यागने के लिए काफी मेहनत की। लेकिन यही शुरुआती संघर्ष और मेहनत उन्हें इतिहास में अमर कर गई।
आप इतिहास में किसी भी ऐसे इंसान को देख लीजिए जिसने शुरुआत में मेहनत की, बाद में उनके लिए रास्ता आसान हो गया।
आज भी किसी ऐसे इंसान को देख लीजिए जो जीवन में सफल नजर आता है, और लोग उससे प्रेरणा लेते हैं, सीखते हैं, और जानना चाहते हैं,
तो आप पाएँगे कि अक्सर शुरुआत में उनकी ज़िंदगी मेहनत और संघर्ष भरी रही होगी, जैसे कि वह ऊँचाई पर चढ़ रहे हों। लेकिन आखिरकार अल्लाह उनके लिए रास्ता आसान कर देते हैं।
और आपको बहुत से ऐसे लोग मिलेंगे जो जब उनके पास समय होता है, उसे खेल-तमाशे और मौज-मस्ती में गँवा देते हैं। लेकिन फिर जैसे-जैसे जीवन आगे बढ़ता है, उनकी मुश्किलें बढ़ती जाती हैं।
उन्होंने खुद पर मेहनत नहीं की होती, और अब जिम्मेदारियों का बोझ उनके कंधों पर आ जाता है। रास्ता और भी कठिन लगता है, और चढ़ाई और ज्यादा मुश्किल महसूस होती है।
अब अपनी ज़िंदगी पर गौर करें।
क्या आप तुरंत आराम की तलाश तो नहीं करते?
क्या आप फौरन मिलने वाले मजे के पीछे तो नहीं भागते?
क्या आप मोबाइल स्क्रीन पर घंटों बर्बाद तो नहीं करते?
क्या आप अस्थायी सुखों में तो नहीं खो जाते?
या कठिन फैसलों को टालते तो नहीं हैं?
हकीकत ये है कि आज आप जो आसानी या मजा चुनते हैं, संभवतः वह कल के लिए एक बड़ी मुश्किल बनकर सामने आएगा।
मेरे वालिद साहब रहमतुल्लाह अलैह एक बात कहा करते थे:
“बेटा, तुम्हें जिंदगी में दो में से एक तकलीफ तो उठानी ही पड़ेगी: आज अनुशासन, मेहनत और मशक्कत की तकलीफ या कल पछतावे की तकलीफ। जिंदगी में समझदारी से चुनाव करना।”
ये आज खुद पर निवेश करने का फैसला करना है, चाहे इस समय ऐसा महसूस न हो, ताकि हम कल के लिए तैयार हो सकें।
ये एक कड़वी सच्चाई है कि…
आराम एक नशे की तरह होता है, और आरामतलबी के साथ ये संभावना बेहद कम होती है कि आप एक शानदार इंसान बन सकें और एक भरपूर जिंदगी जी सकें।
जबकि उद्देश्य के साथ मेहनत और संघर्ष आपमें मजबूती, किरदार, और एक सार्थक जीवन जीने का अवसर पैदा करती है।
तो आज खुद से ये सवाल करें:
क्या मैं आज एक बेहतर कल के लिए मेहनत कर रहा हूँ?
सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए, इस उम्मत के लिए और अपनी आख़िरत के लिए?
क्या आप अपने बच्चों में हिम्मत और स्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं या उन्हें उन मुश्किलों से बचा रहे हैं जो पूरी जिंदगी उनका पीछा करेंगी?
क्या आप अस्थायी सुखों को त्यागने के लिए तैयार हैं ताकि जिंदगी अधिक सार्थक और प्रभावी बन सके?
याद रखें, जिंदगी की ढलान निर्दयी होती है। आज चढ़ाई न चढ़ना, कल इसे और ज्यादा मुश्किल बना देगा।
तो आज ही मजबूत इरादे और विज़न के साथ अपना सफर शुरू करें।
ज़िंदगी के चैलेंजेस को समझदारी और सोच-समझकर अपनाएँ।
सवाल यह नहीं है कि, “क्या आपको मेहनत और संघर्ष करना होगा?”
वो तो हर हाल में करना ही होगा। लेकिन सवाल यह है कि, “आप कब और कैसे ये मेहनत और संघर्ष करेंगे?”
अपने रास्ते का समझदारी से चुनाव करें, क्योंकि जिंदगी आपके लिए दोबारा शुरू नहीं होगी।
यमीनुद्दीन अहमद