एक मुहब्बत का तरीक़ा वो है जो ब्रादराने वतन अपने देवी देवताओं से करते हैं साल में महीने या हफ़्ते में हर देवी देवता का दिन तै है उसी दिन उन पर फूल,मिठाई,फल,जल,रंग,रोगन पैसे और ज़ेवर चढ़ाकर आजाते हैं समझते हैं के उन की मुहब्बतों हक़ अदा होगया।
मगर हमारा नबी कोई देवता नहीं बल्के रसूल,पैगंबर, उस्ताज़,मुरब्बी,टीचर,ट्रेनर,ऑब्जर्वर,निगरां और सरपरस्त है जिस का काम होता है आमाल,किरदार,अखलाक,सीरत,चाल चलन और जिन्दगियां दुरुस्त करना और ऐसा बनाना के आखिरत के इम्तिहान में कामियाब हो जाएं।और पहले खुद सारे काम कर के दिखलाना।
हुज़ूर ने यही किया मगर हम ही भटक गए और हम ने देवी देवताओं की तरह साल में एक दिन हुज़ूर के लिए तै कर दिया है जिस में कुछ नारे कुछ नाते कुछ झंडे और कुछ करतब दिखला कर हम समझते हैं हक़ अदा कर दिया।
आइए आप को सुनाएं मुहब्बत किया होती है।