लेख – अब्दुल्लाह ख़ालिद क़ासमी खैराबादी हमारे धार्मिक प्रतीकों में एक महत्वपूर्ण चीज़ पाँच वक्त की नमाज़ों के लिए दी जाने वाली अज़ान है। पूरे
यूँ समझ लीजिए कि आप इस समय एक दोराहे पर खड़े हैं। एक तरफ का रास्ता मुश्किल और मशक्कत भरा है, जो ऊपर की ओर
हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी दामत बरकातुहू, सदर जमीयत उलमा-ए-हिंद और उस्ताद-ए-हदीस दारुल उलूम देवबंद, अपने वालिदे गरामी शेखुल इस्लाम हज़रत मौलाना हुसैन अहमद मदनी
मैं अक्सर इसका ज़िक्र करता हूँ कि अगर आप मुसलमान हैं और आप एस्ट्रोनॉमी के बारे में नहीं जानते, तो आप “अल्लाहु अकबर” का सही
डॉ मुहम्मद नजीब संभली कासमी
इंटर नेट पर जितना मवाद,मेटेरियल और सामग्री अपलोड है वो सिर्फ़ यहूदियों की मर्ज़ी से।उन की मर्ज़ी के बगैर एक फोटो और तस्वीर आप लोड
एक मुहब्बत का तरीक़ा वो है जो ब्रादराने वतन अपने देवी देवताओं से करते हैं साल में महीने या हफ़्ते में हर देवी देवता का
इंसानी जिस्म की उंगलियों में लकीरें तब नमूदार होने लगती हैं जब इंसान मां की कोख में 4 महीने का हो जाता है। ये लकीरें
कहते हैं कि पड़ोसी ही पड़ोसी के काम आता है। सोलह आने सही है याह बात।आप अचानक किसी मोसिबात में पड़ जाते हैं तो सब
जब मौत आएगी तो यकीन जाने कुछ भी काम न आएगा । आप के दुनिया से जाने पर किसी को कोई फर्क नहीं पड़े गा।